पूर्व मध्य रेल के समस्तीपुर रेल मंडल के अंतर्गत उत्तर बिहार के 15 जिलों का लगभग 1150 km रेलखण्ड आता है। पश्चिम चंपारण के वाल्मीकिनगर से लेकर पुर्णिया जिले के पुर्णिया कोर्ट स्टेशन तक इस रेल मंडल का क्षेत्राधिकार है। नेपाल के सिमा से लगे होने के कारण इस रेल मंडल का महत्व और बढ़ जाता है। घनी आबादी के साथ साथ आर्थिक रूप से पिछड़े इस क्षेत्र के लोगों के लिए रेल ही आवागमन का प्रमुख और सुलभ साधन रहा है। देश के अन्य हिस्सों में जहां बुलेट ट्रेन और हाई स्पीड रेल चलाने की तैयारी है वहीं इस क्षेत्र के कई रेलखंड पर आज भी रेल सेवायें बंद है। इस क्षेत्र में रेलवे की कई परियोजनायें वर्षों से लंबित है, साथ ही कुछ अति महत्वपूर्ण परियोजनाओं को उचित बजट नहीं मिल पा रहा है जिस कारण से इस क्षेत्र के लोग अपने आपको उपेक्षित महसूस करते हैं।
आमान परिवर्तन के लिए वर्षों से बंद है चार रेलखण्ड
सकरी- निर्मली,
नरकटियागंज- भिखना ठोड़ी,
बनमंखी- बिहारीगंज
झंझारपुर- लौकहा बाजार
इन सभी रेलखण्ड पर आमान- परिवर्तन के लिए मेगा ब्लॉक लगभग 3-5 वर्ष पूर्व लिया जा चुका है, लेकिन अब तक कार्य पूरा नहीं किया गया है।
नरकटियागंज - भिखना ठोड़ी रेलखंड पर 5 साल से नहीं चल रही है ट्रेन।
नरकटियागंज- भिखना ठोड़ी रेलखण्ड पर अप्रैल 2015 में मेगा ब्लॉक लिया गया था लेकिन साढ़े पांच साल बीत जाने के बाद भी ट्रेनों का परिचालन नहीं हो पाया है। इस रेलखंड के अमोलवा, भितिहरवा, गौनाहा, भिखना ठोड़ी इत्यादि सभी क्षेत्र के लोगों को सड़क मार्ग से ही यात्रा करनी पड़ती है। इस रेलखंड के भितिहरवा में अवस्थित गांधी आश्रम, जो एक प्रमुख पर्यटन केंद्र है, वहां पहुचने में भी पर्यटकों को काफी कठिनाई होती है। ताजा अपडेट यह है कि नरकटियागंज से अमोलवा तक आमान परिवर्तन का कार्य पूर्ण हो चुका है और शिघ्र ही इस खंड पर रेल सेवायें शुरू होंगी। अमोलवा से आगे के लिए अभी कुछ वर्ष और इंतजार करना पड़ेगा।
सकरी - निर्मली रेलखंड पर 3 वर्षों में लगभग 30 km का आमान परिवर्तन ही हो पाया है।
असम, अरुणाचल प्रदेश समेत पूर्वोत्तर भारत के राज्यों को दिल्ली से जोड़ने वाली वैकल्पिक रेलमार्ग तैयार किया जा रहा है जो कोशी महासेतु होते हुए जाएगी। इस दृष्टि सकरी - निर्मली रेल लाइन पूर्व मध्य रेल के लिए काफी महत्वपूर्ण है। आमान परिवर्तन के लिए इस खंड पर सितंबर 2016 में ब्लॉक लिया गया था। लोगों को उम्मीद थी 2-3 वर्षों में कार्य पूरा कर लिया जायेगा लेकिन निर्माण की सुस्त रफ्तार के कारण साढ़े तीन वर्षों में लगभग 30 km ही तैयार हो पाया है। झंझारपुर तक ट्रेन तो चल गई लेकिन सिग्नल का काम बाकी है, जिस कारण केवल 1 जोड़ी पैसेंजर ट्रेनों का ही परिचालन हो रहा है। ताजा जानकारी यह है कि मार्च तक आमान परिवर्तन हो जाएगा। हालांकि सिग्नल और विद्युतीकरण का काम और लंबा खीच सकता है। पूर्ण रूप से इस रेलखण्ड को तैयार होने में अभी भी लगभग 1 वर्ष का समय लग सकता है।
बनमंखी - बिहारीगंज 28 km रेलखंड पर 5 वर्षों से बंद पड़ी है रेलसेवा।
कोशी और पूर्णिया प्रमंडल के कई महत्वपूर्ण ग्रामीण क्षेत्रों को जोड़ने वाली बनमंखी से बिहारीगंज रेल लाइन पर जनवरी 2016 में आमान परिवर्तन के लिए मेगा ब्लॉक लिया गया था। मार्च 2019 को बनमंखी से बड़हरा कोठी 16 km खंड पर पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन शुरू किया गया लेकिन बचे हुए 12 km खंड पर निर्माण की रफ्तार काफी सुस्त है। ताजा अपडेट यह कि इस वर्ष की दूसरी तिमाही से इस पूरे सेक्शन पर पैसेंजर ट्रेनों का परिचालन शुरू हो जाने के आसार हैं।
झंझारपुर - लौकहा बाजार रेलखंड की कोई समय सीमा अभी रेलवे के तरफ से नहीं दी गयी है।
मधुबनी जिले के महत्वपूर्ण रेल लाइन, झंझारपुर - लौकहा बाजार 43 km, पर मई 2017 से रेल सेवायें बंद है। पिछले 4 वर्षों में आमान परिवर्तन के कार्य में कोई खास प्रगति नहीं हुई है। उम्मीद है कि सकरी- निर्मली खंड पर कार्य पूर्ण होने के बाद रेलवे की टीम इस रेलखंड के निर्माण में जुटेगी। नेपाल सीमा से लगे होने के कारण लौकहा बाजार ना केवल भारत बल्कि नेपाल के लोगों के लिए भी काफी महत्व रखता है। मधुबनी जिले के खुटौना, महरैल, लौकहा इत्यादि क्षेत्र के लोगों को इस रेल लाइन के बंद होने के कारण काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है।
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